Last Updated:
हफ्ते के सातों दिन लड़की का खाना बाहर से ही आता है. इस पर वो महीने में 500 डॉलर यानि 56 हज़ार रुपये से भी ज्यादा खर्चा कर रही है लेकिन खाना बनाने की ज़हमत नहीं लेती.

घर का खाना 10 साल से छोड़ चुकी है लड़की.
आपने ज्यादातर लाइफ कोच और बड़े-बुजुर्गों को भी ये कहते हुए सुना होगा कि घर का खाना खाने से हम स्वस्थ रहते हैं. इसके लिए हमें खाना बनाना सीखना भी चाहिए. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इसे कोई काम ही नहीं मानते या फिर वो इसे सीखना ही नहीं चाहते. आज एक ऐसी ही लड़की की कहानी, जिसने अपनी ज़िंदगी में कभी भी खाना बनाना सीखा ही नहीं और वो 10 साल से सिर्फ और सिर्फ बाहर का ही खाना खा रही है.
लड़की का कहना है कि वो अपनी ज़िंदगी के कई घंटे चूल्हे के सामने नहीं गुजारना चाहती है. लोगों को लगता है कि उसका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है लेकिन वो खुश है, स्वस्थ भी है और उसे ये ज़िंदगी अच्छी लगती है. वो अपनी ज़िंदगी को जी रही है और अपने समय का सही इस्तेमाल कर रही है.
10 साल से नहीं खाया ‘घर का खाना’
सैफरन बोसवेल नाम की महिला का कहना है कि वो हर रोज़ बाहर का ही खाना खाती है. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक सैफरन पिछले 10 साल से सिर्फ बाहर होटलों और रेस्टोरेंट से खाना लेकर ही खा रही है, भले ही ये नाश्ता हो, लंच ह या फिर डिनर. हफ्ते के सातों दिन उसका खाना बाहर से ही आता है. इस पर वो महीने में 500 डॉलर यानि 56 हज़ार रुपये से भी ज्यादा खर्चा कर रही है लेकिन खाना बनाने की ज़हमत नहीं लेती. उसका कहना है कि उसे बाहर का खाना अच्छा लगता है जबकि हज़ारों खर्च करके वो खुद बनाए और गंदा खाना खाए, ये कहीं से भी सही नहीं लगता.
ये बनाने ले ज्यादा सस्ता है
महिला का कहना है कि उसे खाना बनाना पसंद ही नहीं है. उसने कई बार कोशिश भी की लेकिन इतना बुरा बना कि दोबारा बनाया ही नहीं. उसका कहना है कि खाना बनाने से बाहर से मंगाकर खाना सस्ता भी पड़ता है. वो अकेली ही रहती है और अक्सर सबवे सैंडविच, पिज्ज़ा एक्सप्रेस से पिज्ज़ा या फिर केएफसी से बर्गर और सलाद मंगाकर खाती है. इस तरह से दिन में उसके 6,817 रुपये तीन टाइम के खाने पर खर्च हो जाते हैं. बावजूद इसके महिला का कहना है कि खाने के लिए शॉपिंग करने से कहीं ज्यादा आसान और सस्ता खाना खरीद लेना है.