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Dehradun News: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इन वाहनों से संवेदनशील वन क्षेत्रों की निगरानी मजबूत होगी और जंगलों की आग, अवैध कटाई, वन्यजीव तस्करी और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी घटनाओं पर समय रहते प्रभावी …और पढ़ें

हरियाली की सुरक्षा में बोलेरो बनेगी हरित शक्ति.
देहरादून. उत्तराखंड के वनों की रक्षा और वन्यजीव सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को एक अहम कदम उठाया. उन्होंने मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय से वन विभाग द्वारा कैंपा (CAMPA) योजना के तहत खरीदे गए 23 बोलेरो कैंपर वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. यह पहल वन अपराधों पर लगाम कसने, मानव-वन्यजीव संघर्ष को काबू करने और वनाग्नि जैसी आपात परिस्थितियों में तेजी से रेस्क्यू कार्यों में बेहद सहायक सिद्ध होगा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दौरान कहा कि उत्तराखंड जैसे जैव विविधता से भरपूर राज्य में संवेदनशील वन क्षेत्रों की निगरानी बेहद जरूरी है. इन वाहनों की मदद से वन क्षेत्रों में निगरानी व्यवस्था और अधिक चुस्त-दुरुस्त की जा सकेगी. वनाग्नि की घटनाओं, अवैध कटाई, वन्यजीवों की तस्करी और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी समस्याओं पर अब समय रहते कार्रवाई संभव होगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये वाहन आपातकालीन प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़ या भूकंप के समय वन क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में भी प्रभावी भूमिका निभाएंगे. साथ ही इनका इस्तेमाल वृक्षारोपण अभियानों की निगरानी और आकलन के लिए भी किया जाएगा.
बढ़ा कैंपा योजना का बजट
इस मौके पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने जानकारी दी कि पिछले तीन वर्षों में कैंपा योजना के बजट में लगातार बढ़ोतरी की गई है. साल 2023-24 में ₹237 करोड़ का व्यय हुआ. वर्ष 2024-25 में यह राशि बढ़कर ₹302 करोड़ हो गई. अब वर्ष 2025-26 के लिए ₹439.50 करोड़ की प्रस्तावित वार्षिक योजना को भारत सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया है. वन मंत्री ने कहा कि यह बजट राज्य में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने, पुनर्वनीकरण को बढ़ावा देने और वन संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
हरियाली की सुरक्षा में बोलेरो बनेगी ‘हरित शक्ति’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल की यह संयुक्त पहल उत्तराखंड में पर्यावरणीय चुनौतियों से लड़ने के साथ-साथ वन सुरक्षा के क्षेत्र में नई मिसाल स्थापित करेगी. इन बोलेरो वाहनों को अब राज्य की ‘हरी सेना’ के तौर पर देखा जा रहा है, जो हर मोर्चे पर मुस्तैदी से तैनात रहेंगे, चाहे वो जंगल में लगी आग हो या फिर किसी गांव में घुस आए बाघ का रेस्क्यू ऑपरेशन.