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बरेली की ज्योति ठाकुर ने मंदिर को शिक्षा का मंदिर बना दिया है, जहां वह कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं. समाजसेवी संस्थाएं भी इस प्रयास में सहयोग कर रही हैं.

बच्चों को पढ़ाती ज्योति ठाकुर.
हाइलाइट्स
- ज्योति ठाकुर ने मंदिर को शिक्षा का मंदिर बनाया.
- कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देती हैं.
- समाजसेवी संस्थाएं भी इस प्रयास में सहयोग कर रही हैं.
बरेली: नाथ नगरी बरेली में एक ऐसी नई पहल देखने को मिल रही है, जो समाज को नई दिशा देने वाली है. यहां की एक होनहार युवती ज्योति ठाकुर ने एक मंदिर को ही शिक्षा का मंदिर बना दिया है. वह रोज़ाना मंदिर परिसर में बच्चों को बुलाकर उन्हें मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रही हैं.
ज्योति ठाकुर कक्षा 1 से लेकर 8वीं तक के छात्रों को पढ़ाती हैं. सभी छात्र उत्तर प्रदेश बोर्ड से हैं. ज्योति के इस प्रयास में बरेली की कई सामाजिक संस्थाएं आगे आई हैं, जो बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी जरूरतों को पूरा कर रही हैं.
ज्योति हर दिन दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक मंदिर परिसर में बच्चों को पढ़ाती हैं. वह मुख्य रूप से गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों पर फोकस करती हैं.
घर-घर जाकर कर रहीं जागरूक
ज्योति बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनके अभिभावकों से मिलकर भी जागरूकता फैला रही हैं. वह खुद बच्चों के घर जाती हैं और उनके माता-पिता को समझाती हैं कि उनके यहां बिल्कुल कोचिंग फ्री दी जाती है. उनका कहना है कि यदि बच्चों को पढ़ने भेजा जाए तो आने वाले समय में वे खुद और देश के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं.
खुद के अनुभव से मिली प्रेरणा
लोकल 18 से खास बातचीत में ज्योति ठाकुर ने बताया कि जब वह खुद छोटी थीं, तो उनके माता-पिता उनकी पढ़ाई को लेकर बहुत गंभीर नहीं थे. उन्हें पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ा, इसी कारण उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे दूसरे बच्चों की पढ़ाई में मदद करेंगी.
उन्होंने बताया कि बच्चों को पढ़ाना उनका सपना रहा है और वह चाहती हैं कि जिन बच्चों के पास संसाधन नहीं हैं, उन्हें भी अच्छी शिक्षा मिल सके. उनकी इसी सोच से उन्हें बच्चों को फ्री कोचिंग देने का ख्याल आया.
समाजसेवियों का समर्थन बना ताकत
ज्योति का यह प्रयास अब एक अभियान में बदल रहा है, जिसमें कई समाजसेवी संगठन उनका साथ दे रहे हैं. ये संस्थाएं बच्चों के लिए कॉपी-किताबें, स्टेशनरी और अन्य ज़रूरी संसाधन मुहैया करा रही हैं. इससे ज्योति के ऊपर आर्थिक बोझ नहीं आता और बच्चों की पढ़ाई भी बिना रुके चलती रहती है.
ज्योति कहती हैं, “मैं रोज़ दो घंटे बच्चों को पढ़ाती हूं, लेकिन कोशिश करती हूं कि इन दो घंटों में उन्हें पूरा ध्यान दूं. पढ़ाई के साथ-साथ मैं उन्हें जीवन के सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी देती हूं.”