पटना: डॉक्टर बनने की चाहत रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट की परीक्षा काफी महत्वपूर्ण होती है. इस परीक्षा को पास करने के बाद ही स्टूडेंट्स को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलता है और आगे डॉक्टर बनने का रास्त साफ होता है. इस साल नीट यूजी परीक्षा का आयोजन 4 मई को होना है. ऐसे में स्टूडेंट्स खूब तोड़ मेहनत कर रहे हैं. परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ उनके मन में अपने राज्य के मेडिकल मेडिकल कॉलेज के चुनाव और वहां एडमिशन के लिए जरूरी अंको की भी गुणा-गणित चल रही है.
इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए लोकल 18 ने पटना के चर्चित बायोलॉजी मेंटर प्रतीक रत्न से बातचीत की. प्रतीक रत्न पटना के आइकॉनिक क्लासेज में पिछले एक दशक से छात्रों को नीट की तैयारी करा रहे हैं. वह स्वयं भी एक पीएचडी रिसर्च स्कॉलर हैं और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की गहराई से समझ रखते हैं.
इन मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए होती है मारामारी
प्रतीक रत्न बताते हैं कि वर्तमान समय में किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. हालांकि, गुणवत्ता और सुविधाओं के आधार पर कुछ मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट्स की पहली पसंद बन जाते हैं. इनमें मुख्य रूप से एम्स पटना (AIIMS Patna), पीएमसीएच (PMCH), आइजीआइएमएस (IGIMS), दरभंगा मेडिकल कॉलेज, नालंदा मेडिकल कॉलेज, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया मेडिकल कॉलेज शामिल हैं.
बिहार के कुछ और सरकारी मेडिकल कॉलेज
बिहार के कुछ और सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो उनमें ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज (ESIC, बिहटा), जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JLNMCH भागलपुर), अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (ANMMCH गया), जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (JNKTMCH, मधेपुरा), गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH बेतिया), बिहार मेडिकल इंस्टीट्यूट एंड मेडिकल साइंसेज (BMIMS पावापुरी) और अन्य हैं.
सरकारी कॉलेज ही फर्स्ट चॉइस
प्रतीक रत्न कहते हैं कि सीटें लिमिटेड हैं और कॉम्पटीशन टफ है. ऐसे में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मिलना ही एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. दूसरी बड़ी वजह है फीस का अंतर. सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस बेहद कम होती है, वहीं प्राइवेट कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस बहुत अधिक होती है. दोनों की फीस के बीच का अंतर लगभग 40 से 50 लाख का हो जाता है. यही कारण है कि छात्र और उनके परिवार सरकारी कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं.
एमबीबीएस के बाद जॉब या स्पेशलाइजेशन
एमबीबीएस के बाद सीधे जॉब के अवसर बहुत ही लिमिटेड होते हैं. अच्छी नौकरी और बेहतर करियर के लिए नीट पीजी में बेहतर स्कोर लाना ज़रूरी होता है. नीट पीजी के जरिए ही स्टूडेंट्स अपनी पसंद के स्पेशलाइजेशन जैसे कि रेडियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक्स और गायनेकोलॉजी जैसे डिपार्टमेंट का चयन करते हैं. हाल के वर्षों में रेडियोलॉजी टॉपर्स की पहली पसंद बनकर उभरी है.
नीट यूजी में चाहिए इतना स्कोर
कटऑफ को लेकर प्रतीक रत्न बताते हैं कि पहले जहां 615-620 अंक लाने वाले स्टूडेंट्स को अच्छे कॉलेज मिल जाते थे अब स्थिति बदल चुकी है. पिछले साल के रिजल्ट को देखें तो अब 650 अंक लाकर भी अच्छे कॉलेजों में एडमिशन मिलना मुश्किल लगता है. एम्स पटना में एडमिशन के लिए तो 700 से ऊपर अंक लाना जरूरी है. पीएमसीएच और आईजीआईएमएस जैसे कॉलेजों में दाखिला पाने के लिए 690 से 715 स्कोर लाना होगा.