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Dhanchidi Bird: उत्तराखंड के कॉर्बेट पार्क में प्रवासी पक्षी धनचिड़ी का आगमन हो चुका है. इन्होंने घोंसले बना लिए हैं जिसे पर्यावरण के लिए अच्छा माना जा रहा है. इस चिड़िया को स्थानीय लोग धन की देवी मानते हैं.

धनचिड़ी पक्षी का आगमन शुभ माना जाता है
हाइलाइट्स
- धनचिड़ी पक्षी का आगमन कॉर्बेट पार्क में हुआ.
- धनचिड़ी पक्षी को स्थानीय लोग धन की देवी मानते हैं.
- धनचिड़ी पक्षी का संरक्षण पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है.
रामनगर. उत्तराखंड का रामनगर स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क एक बार फिर प्रकृति प्रेमियों और पक्षी विशेषज्ञों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. इस बार कारण है एक खास प्रवासी पक्षी धनचिड़ी, जिसे स्थानीय भाषा में “चिड़ियों का पंडित” और “धन की देवी” कहा जाता है. गर्मियों की शुरुआत के साथ ही रामनगर क्षेत्र में इस पक्षी का आगमन हो चुका है और इसकी चहचहाहट ने पूरे इलाके को गुंजायमान कर दिया है.
कॉमन हाउस मार्टिन के नाम से जानी जाने वाली धनचिड़ी पक्षी हर साल मार्च-अप्रैल में दक्षिण भारत के मैदानी इलाकों से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की ओर प्रवास करती है. यह पक्षी समूह में रहना पसंद करती है और नदी या झील के किनारे की दोमट मिट्टी से घोंसले बनाती है. रामनगर महाविद्यालय की दीवारों पर इस बार सैकड़ों धनचिड़ी पक्षियों ने अपने घोंसले बनाए हैं, जिससे पूरा परिसर जीवंत हो उठा है.
चार सालों से लगातार आ रही है प्रवास पर
रामनगर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एम.सी. पांडे के अनुसार, यह पक्षी पिछले चार वर्षों से लगातार कॉलेज परिसर में आ रही है और इस बार 500 से अधिक पक्षियों ने डेरा डाला है. इनकी कलरव भरी उपस्थिति न केवल सौंदर्य बढ़ा रही है, बल्कि एक सकारात्मक ऊर्जा भी फैला रही है. नर पक्षी जहां घोंसले निर्माण का काम करते हैं, वहीं मादा अंडे देती है और चूजों की देखभाल करती है.
यह पक्षी 55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है और हवा में उड़ते-उड़ते कीटों का शिकार करती है. वरिष्ठ पक्षी विशेषज्ञ राजेश भट्ट बताते हैं कि धनचिड़ी लगभग छह महीने उत्तराखंड में रहती है और मानसून के बाद वापस दक्षिण की ओर लौट जाती है. वहीं, पर्यावरणविद् गणेश रावत इस पक्षी को शुभ संकेत मानते हैं और इसके संरक्षण पर ज़ोर देते हैं.
समृद्धि लेकर आती है धनचिड़ी
धनचिड़ी का आगमन न केवल मौसम परिवर्तन का संकेत देता है, बल्कि क्षेत्र की जैवविविधता और पर्यावरणीय संतुलन का प्रमाण भी है. यह पक्षी जहां घोंसला बनाती है, वहां समृद्धि और शुभता का विश्वास जुड़ा होता है. स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों से अपील की जा रही है कि वे इन पक्षियों के घोंसलों को नष्ट न करें, बल्कि इनके संरक्षण में योगदान दें.