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Rohtas News: रोहतास जिले में हैरान करने वाला मामला सामने आया. यहां रिश्ते के दो भाइयों की एक साथ नौकरी लगी. 41 सालों तक ठसक के पुलिस की नौकरी करते रहे. लेकिन बुढ़ापे में उनकी पोल खुल गई.

पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी.
हाइलाइट्स
- रिश्ते के भाइयों ने एक ही साल में पुलिस सेवा ज्वाइन की थी.
- दोनों एक ही नाम पर रिटायर होने तक नौकरी करते रहे.
- पेंशन लेने के समय उनका राज खुल गया.
रोहतासः बिहार के रोहतास जिले से अजीबो गरीब मामला सामने आया. यहां ममेरे-फुफेरे भाई साल 1982 में एक ही साल में पुलिस में भर्ती हुए. दोनों में 41 सालों तक ठसक से नौकरी की और खूब रौब झाड़ते थे. लेकिन बूढ़ापे में उनके काले कारनामे की पोल खुल गई. पेंशन लेने पहुंचे, तो ऐसा सच सामने आया जिससे प्रशासन के पैरों तले जमीन खिसक गई. दरअसल, दोनों ने एक ही सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी ज्वाइन की थी और सालों तक नौकरी करते रहे. अब उनका फर्जीवाड़ा पकड़ में आया.
रोहतास जिले के चौडिहरा के रहने वाले बिक्रमा सिंह के सर्टिफिकेट पर उसके ममेरा भाई कैमूर जिला के रामगढ़ के आरडीह गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह ने यह पूरे साजिश रची. बड़ी बात है कि चार दशक से अधिक समय तक नौकरी करने के बावजूद किसी की इस पर नजर नहीं पड़ी. राजेंद्र सिंह ने अपना नाम अपने फुफेरा भाई विक्रमा सिंह का रख लिया और विक्रमा सिंह के नाम पर ही 12 मई 1982 को रोहतास जिला पुलिस बल में ज्वाइन कर लिया. उधर, रोहतास के विक्रमा सिंह भी कटिहार में अपने सर्टिफिकेट पर नौकरी ज्वाइन की. एक ही साल दोनों भाइयों ने अलग-अलग जिला में बिहार पुलिस के सिपाही में योगदान दिया और 41 साल नौकरी करने के बाद लगातार पदोन्नति पाते हुए दरोगा बनकर वर्ष 2023 में सेवानिवृत हो गए.
शिवहर में हुआ मामले का खुलासा
जब राजेंद्र सिंह ने अपने फुफेरे भाई विक्रम सिंह के नाम के तमाम दस्तावेज के साथ शिवहर कोषागार में पेंशन के लिए अप्लाई किया तो मामला खुल गया. अधिकारियों ने जांच की तो पता चला कि राजेंद्र सिंह ने अपने फुफेरा भाई विक्रमा सिंह के पूरे नाम के अलावा पिता का नाम, जन्मतिथि, नौकरी, ज्वाइन करने की तिथि, पैन नंबर सभी की नकल कर ली थी. अपने फूफा ब्रह्मदेव सिंह के नाम को पिता के नाम की जगह पर लिखता रहा. पूरे मामलों को आर्थिक अपराध विभाग ने अपने हाथ में ले लिया और गहनता से जांच की तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया.
41 साल करते रहे नौकरी
राजेंद्र सिंह ने विक्रमा सिंह के नाम पर रोहतास जिला पुलिस में सिपाही के पद पर ज्वाइन किया था. 31 में 2023 को शिवहर से दरोगा बन कर रिटायर हुआ. उधर, असली विक्रमा सिंह कटिहार में जीआरपी में ज्वाइन किया और गया से सेवानिवृत हुए. रोहतास के कोषागार से विक्रमा सिंह को पेंशन भी मिल रही है. पूरे मामले की जांच इकोनॉमिकल ऑफेंस यूनिट कर रही है. जिस प्रकार एक ही नाम, एक ही पता, एक ही पिता का नाम, एक ही पैन नंबर लेकिन अलग-अलग आधार कार्ड, अलग-अलग बैंक अकाउंट और अलग-अलग स्थल पर जॉइनिंग कर यह लोग 4 दशक से अधिक समय तक नौकरी करते रहे.
फरार है आरोपी
राजेंद्र सिंह बिहार के अलग-अलग जिलों में सेवा देते हुए अंततः शिवहर से सेवानिवृत हो गया. बड़ी बात है कि वह ताउम्र खुद को विक्रमा सिंह बताता रहा और सरकार से मोटी सैलेरी पाता रहा. फिलहाल, कैमूर जिला के रामगढ़ प्रखंड के आरडीह के रहने वाले राजेंद्र सिंह फरार हैं. वहीं पुलिस रोहतास के निवासी विक्रमा सिंह से भी पूछताछ करेगी.