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ओडिशा से महाराष्ट्र तक 3500 KM तैरकर पहुंचा ये कछुआ, दिए 107 बच्चे! वैज्ञानिक भी सोच में गए पड़


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Olive Ridley Turtle Journey:ओडिशा से टैग किया गया ऑलिव रिडले कछुआ 3,500 किमी तैरकर महाराष्ट्र के रत्नागिरी पहुंचा और 120 अंडे दिए. ZSI वैज्ञानिकों ने इसे महत्वपूर्ण बताया, जिससे पुराने शोधों को चुनौती मिली है.

ओडिशा से महाराष्ट्र तक 3500 KM तैरकर पहुंचा ये कछुआ, वैज्ञानिक भी हैरान

ऑलिव रिडले कछुए ने 3,500 किमी तैरकर रचा इतिहास. Representative image (Credit Meta AI)

हाइलाइट्स

  • ओडिशा से महाराष्ट्र तक 3500 किमी तैरकर पहुंचा कछुआ.
  • रत्नागिरी में कछुए ने 120 अंडे दिए, 107 बच्चे निकले.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार पुराने शोधों को चुनौती मिली है.

नवी मुंबई/पुणे: महाराष्ट्र से एक अनोखी खबर सामने आई है. एक ऑलिव रिडले कछुए ने इतिहास रच दिया है. यह कछुआ ओडिशा से महाराष्ट्र की कोंकण तट तक तैरकर आया और कुल मिलाकर उसने 3,500 किलोमीटर की दूरी तय की. दरअसल, ये मामला रत्नागिरी के गुहागर बीच से सामने आया है. वहीं, इस कछुए ने 120 अंडे दिए. इनमें से 107 अंडों से बच्चे निकले हैं. यह घटना 2025 की है, लेकिन अब इसका खुलासा हुआ है. इस कछुए को 2021 में ओडिशा के गहीरमाथा बीच पर टैग किया गया था. इसका टैग नंबर था ‘03233’. बता दें कि उस समय जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के वैज्ञानिकों ने 12,000 कछुए टैग किए थे.

रत्नागिरी के समुद्र किनारे तक आ पहुंचा
वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि कछुए श्रीलंका की ओर लौटेंगे, लेकिन ‘03233’ नंबर वाला कछुआ अरब सागर की ओर निकल पड़ा. वह सीधे रत्नागिरी के समुद्र किनारे तक आ पहुंचा. बता दें कि यह अपने आप में पहली घटना है.

‘पुराने शोधों को चुनौती मिली है’
ZSI के वैज्ञानिक डॉ. बसुदेव त्रिपाठी ने इसे बहुत खास बताया. उनका कहना है कि इससे पुराने शोधों (Previous Research.) को चुनौती मिली है. पहले माना जाता था कि पूर्व और पश्चिम तट के कछुए अलग प्रजातियां हैं, लेकिन अब लगता है कि दोनों तट आपस में जुड़े हो सकते हैं.

शायद पहले ओडिशा में अंडे दिए होंगे
वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के डॉ. सुरेश कुमार ने भी राय दी. उन्होंने कहा कि यह कछुआ दोहरी प्रजनन रणनीति (dual reproductive strategy) अपना रहा होगा. शायद पहले ओडिशा में अंडे दिए होंगे. फिर महाराष्ट्र आकर फिर से अंडे दिए.

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घोंसलों की रक्षा जरूरी है
इस खोज ने वैज्ञानिकों की सोच को बदल दिया है. अब वे मानते हैं कि ऑलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtles) लंबी दूरी तक जा सकते हैं. इसलिए दोनों तटों पर इनके घोंसलों की रक्षा जरूरी है. वैज्ञानिक अभी भी इस खास कछुए पर नजर बनाए हुए हैं. आगे और जानकारी जुटाने की कोशिश जारी है. यह स्टडी कछुओं के संरक्षण और व्यवहार (Conservation and Behavior of Turtles) को समझने में मदद करेगी.

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