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Rare Watercock Bird: झारखंड के हजारीबाग झील में इन दिनों जलमुर्गा या जलमुर्गी खूब दिख रही है. यह बेहद अनोखी है. ये जलमुर्गी पानी में ही रहती है. वहीं अंडे देती है. इसके अलावा, इसके बच्चे तो और भी कमाल हैं. जाने…और पढ़ें

जलमुर्गी
हाइलाइट्स
- झारखंड के हजारीबाग झील में जलमुर्गी की संख्या बढ़ी
- जलमुर्गी पानी में ही रहती और अंडे देती है
- जलमुर्गी के बच्चे को लेकर ये बात कर देगी हैरान
Watercock Bird: झारखंड में एक ऐसा पक्षी पाया जाता है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है. ये पक्षी वाकई में गजब है. क्योंकि पूरे साल झील या किसी तालाब के किनारे दिखता है. लेकिन, गर्मी से लेकर मानसून के अंत तक ये पानी में ही रहता है. स्थानीय लोग इसे जलमुर्गा, जलमुर्गी या मूरहेन के नाम से जानते हैं. यह पक्षी सुंदर तो है ही, इसके बच्चे से जुड़ी एक बात बेहद आश्चर्यजनक है.
झारखंड के हजारीबाग की झील को शहर का दिल कहा जाता है. प्रवासी पक्षियों के लौटने के बाद इन दिनों हजारीबाग की झील में बड़ी संख्या में वाटर कॉक या जलमुर्गा देखे जा रहे हैं. ये पक्षी खासकर पानी वाले क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं. गर्मी की आहट के साथ इनकी सक्रियता यहां बढ़ जाती है. वाटर कॉक एक बेहद सुंदर और आकर्षक जलपक्षी होता है.
अभी झील में ही ज्यादा सक्रिय
हजारीबाग के पर्यावरणविद् मुरारी सिंह ने बताया, गर्मी की आहट के साथ ही वाटर कॉक की उपस्थिति हजारीबाग झील में काफी बढ़ जाती है. झील में मुख्य रूप से 5 प्रजातियों के वाटर कॉक पाए जाते हैं. ये पक्षी सामान्यतः पूरे साल झीलों और तालाबों के किनारे देखे जा सकते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम से मानसून के अंत तक इनकी संख्या झील में अधिक होती है.
पानी की सतह पर घोंसला!
आगे बताया, इनकी जीवनशैली अन्य पक्षियों से अलग होती है. ये वाटर कॉक पानी की सतह पर या पानी के किनारे घोंसला बनाकर एक बार में 3 से 4 अंडे देती हैं. अंडों से चूजे निकलने की अवधि लगभग 21 से 22 दिन होती है. आश्चर्य की बात यह है कि जन्म के 1 से 2 घंटे के भीतर ही ये बच्चे पानी में उतर जाते हैं और अच्छी तरह तैरने लगते हैं.
इनको खा जाते हैं लोग…
मुरारी सिंह आगे बताते हैं, कुछ लोग इन पक्षियों का शिकार कर लेते हैं और उनका मांस भोजन के रूप में उपयोग करते हैं. वहीं, कुछ लोग इनके अंडों को भी चुराकर खा लेते हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इन पक्षियों का मांस हड्डियों के दर्द और ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने में सहायक होता है. लेकिन, यह प्रथा पूरी तरह से गलत है.
ये पक्षी पर्यावरण के लिए जरूरी
यह भी बताया कि ये जलमुर्गे केवल सुंदरता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं. ये पक्षी झीलों और तालाबों में रहने वाले छोटे-छोटे कीड़ों और कीटों को खाकर प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने में मदद करते हैं.