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Inspiring Story: बहराइच के दिव्यांग किसान कन्हैयालाल ने अपने हौसले से 35 सालों से खेती कर प्रेरणा दी है. एक पैर से खेती कर परिवार चलाते हैं और सरकारी ट्राई साइकिल से खेत जाते हैं.

दिव्यांग किस कन्हैयालाल!
हाइलाइट्स
- कन्हैयालाल जन्म से दिव्यांग हैं और 35 सालों से खेती कर रहे हैं.
- एक पैर से ही खेतों की जुताई और अन्य काम खुद करते हैं.
- खेती से परिवार की जीविका चलाते हैं और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाते हैं.
बहराइच: किसान तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन आज हम जिस किसान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं इस किसान से सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है. दरअसल बहराइच जिले के रहने वाले किसान कन्हैयालाल जन्म से ही दिव्यांग हैं और बचपन से ही लोग इनको ताने भी देते थे. लंगड़ा है जिंदगी में कुछ कर नहीं पाएगा. उन तानों को अनसुना कर कन्हैया लाल ने अपनी जिंदगी की शुरुआत की और खेती से अपनी जिंदगी सवारी. उनका सिर्फ एक पैर है, वह पिछले 35 सालों से एक पैर से खेती कर रहे हैं. एक पैर से ही खेतों की जुताई और भी जितने काम हैं खुद अकेले ही करते हैं.
दिव्यांगता भी कन्हैया लाल के हौसले के आगे परास्त!
यदि हौसला बुलंद हो और कुछ करने की चाह हो तो कोई भी परेशानी राह में रोड़ा नहीं बन सकती. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है कन्हैया लाल ने. विकासखंड तेजवापुर अन्तर्गत ग्राम गजपतिपुर में रहने वाले किसान कन्हैया लाल का जन्म से ही बाये पैर का पूरा भाग दिव्यांग है. लेकिन एक पैर न होने के बाद भी कन्हैया पिछले 35 सालों से संघर्ष कर रहे हैं. कन्हैया अपने परिवार के साथ मिलकर दलहनी फसल और गेंहू, धान उत्पादन का कार्य अपने 8.5 बीघा खेत में करते हैं.
दिव्यांगता के बाद इस तरह करते हैं खेती!
कन्हैयालाल के घर से खेत की दूरी लगभग 200 मीटर है. जिस खेत पर यह पहले पैदल जाया करते थे फिर सरकार की योजना के तहत इनको एक ट्राई साइकिल मिली. जिसके बाद से यह अपने खेत पर उसी से जाने लगे. घर से निकलने के बाद खेत पहुंचने पर यह ट्राई साइकिल मेड के किनारे खड़ी कर देते हैं और फिर अपने साथ ले गए फड़वे और कुदाल से अपने खेत की जुताई, निराई, सिंचाई सब खुद ही करते हैं. इनका कहना है कि अन्य सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा में मुझे करने में थोड़ा समय लगता है, लेकिन काम हो जाता है. देर सवेर, इस काम में कन्हैया लाल की पत्नी भी इनका हाथ बटाती है. कन्हैयालाल ने बातचीत में बताया कि उन्होंने खेती के दम पर भाई की शादी की और अपना घर मकान बनवाया. इसी पैसे से घर की आजीविका चलती है. बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी यही से निकलता है. किसानों के लिए किसी प्रेरणा से काम नहीं है बहराइच के किसान कन्हैयालाल.