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डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच तनाव बढ़ गया है. ट्रंप ने सख्त सरकारी नियंत्रण की मांग की, जिसे हार्वर्ड ने खारिज कर दिया.

हार्वड यूनिवर्सिटी को एक्शन की धमकी.
हाइलाइट्स
- ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच तनाव बढ़ा
- ट्रंप ने हार्वर्ड पर सख्त सरकारी नियंत्रण की मांग की
- हार्वर्ड ने ट्रंप की मांगों को खारिज कर दिया
वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. ट्रंप ने जो शर्तें रखी थीं, उसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने नहीं माना है. ट्रंप प्रशासन ने अब हार्वर्ड को झुकाने के लिए नया हथकंडा अपनाया है. ट्रंप प्रशासन ने धमकी दी है कि अगर हार्वर्ड सरकार की मांगें नहीं मानता, तो उसे विदेशी छात्रों के दाखिले से रोका जाएगा. यह विवाद न केवल हार्वर्ड की स्वतंत्रता को चुनौती दे रहा है, बल्कि उन छात्रों के सपने पर भी ग्रहण लगा रहा है, जो अमेरिका में पढ़ना चाहते हैं. ट्रंप उस हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ एक्शन लेना चाहते हैं, जिसने अब तक दुनिया को 162 नोबेल पुरस्कार विजेता दिए हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि ट्रंप उसपर लगाम नहीं लगा पा रहे.
क्या है पूरा मामला?
डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड पर सख्त सरकारी नियंत्रण की मांग की है, जिसमें दाखिला प्रक्रिया, स्टाफ भर्ती और राजनीतिक विचारों की जांच शामिल है. हार्वर्ड ने इन मांगों को सिरे से खारिज कर दिया, जिससे प्रशासन भड़क गया. होमलैंड सुरक्षा विभाग ने बयान जारी कर कहा, ‘अगर हार्वर्ड अपनी रिपोर्टिंग आवश्यकताओं का पूरी तरह पालन नहीं करता, तो उसे विदेशी छात्रों के दाखिले का विशेषाधिकार खोना पड़ेगा.’
ट्रंप ने हार्वर्ड को “मजाक” करार देते हुए ट्रुथ सोशल पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘हार्वर्ड को अब एक सम्मानजनक शिक्षण संस्थान भी नहीं माना जा सकता, और इसे दुनिया की महान विश्वविद्यालयों या कॉलेजों की किसी भी सूची में नहीं रखा जाना चाहिए. हार्वर्ड एक मजाक है, नफरत और मूर्खता सिखाता है, और इसे अब संघीय धन नहीं मिलना चाहिए.’ ट्रंप ने पहले ही $2.2 बिलियन की संघीय फंडिंग को स्थायी रूप से रोक दिया है. मंगलवार को उन्होंने इसकी टैक्स फ्री स्थिति को छीनने की भी धमकी दी. उन्होंने विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष की भी आलोचना की, जिन्हें कथित अक्षमता के बावजूद पद से नहीं हटाया गया.
हार्वर्ड पर ट्रंप का हमला
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने जवाब में कहा, ‘यूनिवर्सिटी अपनी स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर कोई समझौता नहीं करेगी.’ हार्वर्ड ने अन्य विश्वविद्यालयों के विपरीत, सरकारी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध किया है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में अपने अध्यक्ष का बयान पोस्ट किया. गार्बर ने कहा, ‘किसी भी सरकार को चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो, यह तय नहीं करना चाहिए कि निजी विश्वविद्यालय क्या पढ़ा सकते हैं, किसे प्रवेश दे सकते हैं और किसे नौकरी पर रख सकते हैं, और अध्ययन और जांच के किन क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं.’
क्यों उठा विवाद?
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में यहूदी-विरोधी भावनाएं और फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह हमास के समर्थन में वृद्धि हो रही है. इस आधार पर वे विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, हार्वर्ड का कहना है कि यह उसकी स्वतंत्रता पर हमला है. यदि अमेरिका हार्वर्ड में विदेशी छात्रों के दाखिले को रोकता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए बड़ा झटका होगा.