नई दिल्ली: अमेरिका के कई हिस्सों में 1000 साल की सबसे भयानक बाढ़ आने की आशंका है. इसकी वजह है एक अदृश्य मौसमी घटना- ‘एटमॉस्फेरिक रिवर्स’ (Atmospheric Rivers – ARs). ये आसमान में बहने वाली पानी की नदियां हैं, जो समुद्र से नमी लेकर जमीन पर भारी बारिश और बाढ़ लाती हैं. अमेरिकी मौसम विभाग (NWS) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ये तूफानी हवाएं टेनेसी, केंटकी, अर्कांसस, मिसौरी, इंडियाना और इलिनॉय जैसे राज्यों में भारी तबाही मचा सकती हैं.
क्या हैं एटमॉस्फेरिक रिवर्स?
एटमॉस्फेरिक रिवर्स आकाश में बहने वाली लंबी, संकरी नमी की धाराएं होती हैं, जो समुद्र से भाप लेकर जमीन पर बारिश के रूप में उड़ेल देती हैं. इन्हें ‘आकाशीय नदियां’ भी कहा जाता है. 1990 के दशक में MIT के वैज्ञानिकों योंग झू और रेजिनाल्ड न्यूवेल ने इन्हें पहचाना. एक औसत एटमॉस्फेरिक रिवर मिसिसिपी नदी के मुहाने जितना पानी ले जाती है! अमेरिका में 50% वार्षिक वर्षा इन्हीं की वजह से होती है.
कैसे बनती हैं ये ‘आकाशीय नदियां’?
उष्णकटिबंधीय समुद्रों (प्रशांत, हवाई के आसपास) से भाप उठती है. यह नमी हवा के साथ बहकर अमेरिका के उत्तरी हिस्सों तक पहुंचती है. पहाड़ों या ठंडे क्षेत्रों से टकराकर मूसलाधार बारिश या बर्फबारी में बदल जाती है.
क्यों खतरनाक हैं ये?
1000 साल की बाढ़: कुछ एटमॉस्फेरिक रिवर्स इतनी तेज बारिश लाती हैं कि नदियां उफन जाती हैं, शहर डूब जाते हैं. पहाड़ी इलाकों में मिट्टी खिसकने से सड़कें और घर बर्बाद हो जाते हैं. 2017 में कैलिफोर्निया में AR से 22 लोगों की मौत हुई थी.
अमेरिका में कहां-कहां मच सकती है तबाही?
NWS के अनुसार, इस बार सबसे ज्यादा खतरा इन इलाकों में है:
- मध्य मिसिसिपी घाटी
- अर्कांसस-लुइज़ियाना-टेक्सास का इलाका
- टेनेसी, केंटकी, मिसौरी के तटीय शहर
क्या भारत में भी आ सकती हैं ऐसी आपदाएं?
हालांकि एटमॉस्फेरिक रिवर्स ज्यादातर उत्तरी अमेरिका और यूरोप में सक्रिय होती हैं, लेकिन भारत में भी मॉनसून के दौरान समुद्री नमी के कारण भारी बारिश होती है. केरल (2018) और उत्तराखंड (2013) की बाढ़ में ऐसी ही नमी की धाराओं का योगदान रहा.
जलवायु परिवर्तन के कारण एटमॉस्फेरिक रिवर्स और तीव्र हो रही हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2100 तक इनकी संख्या 20% बढ़ सकती है. हर घटना में 30% अधिक बारिश होगी.