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मलेशिया में 130 साल पुराने हिंदू मंदिर की जगह मस्जिद बनाने के फैसले से हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ा है. प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मस्जिद की आधारशिला रखी, जिससे हिंदू समुदाय में आक्रोश है.

मलेशिया में मंदिर-मस्जिद को लेकर बवाल मचा है. (Image:News18)
हाइलाइट्स
- मलेशिया में 130 साल पुराने मंदिर की जगह मस्जिद बनाने पर विवाद.
- प्रधानमंत्री इब्राहिम ने मस्जिद की आधारशिला रखी.
- हिंदू समुदाय में धार्मिक धरोहर के विस्थापन पर आक्रोश.
कुआलालंपुर. मलेशिया में एक विवादास्पद कदम के तहत, सरकार ने एक पुराने हिंदू मंदिर की जगह एक मस्जिद को बनाने की मंजूरी दे दी है. जिससे मलेशिया में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ गया है. प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने नई मस्जिद की आधारशिला रखी, जिससे खासकर हिंदू समुदाय और देश के कट्टरपंथी समूहों में आलोचना की लहर उठी है. कुआलालंपुर में हटाया जा रहा देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर 130 साल पुराना है. यह मंदिर शहर के बीचोबीच में फ्लैटों और कपड़ा दुकानों के बीच एक छोटी लेकिन कीमती जगह पर स्थित है.
मंदिर की जगह मस्जिद बनाने के सरकार के फैसले का हिंदू समुदाय के कुछ सदस्यों ने कड़ा विरोध किया है. जो इसे अपनी धार्मिक धरोहर का प्रतीकात्मक विस्थापन मानते हैं. इस मंदिर का क्षेत्र के कई लोगों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व था. इसके हटाए जाने से उन लोगों में आक्रोश है जो महसूस करते हैं कि उनकी धार्मिक अधिकारों और परंपराओं को कमजोर किया जा रहा है. स्थानीय हिंदू नेताओं ने इस कदम की निंदा की है, इसे उनके समुदाय की पहचान पर हमला और धार्मिक आजादी का उल्लंघन बताया है. कई लोगों का कहना है कि सरकार ने हिंदू आबादी से पर्याप्त परामर्श किए बिना यह फैसला लिया.
इससे एक ऐसे देश में धार्मिक तनाव बढ़ने का खतरा है जो पहले से ही विभिन्न धर्मों के बीच विभाजन से जूझ रहा है. दूसरी ओर, कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी समूहों ने मस्जिद के निर्माण का समर्थन किया है, इसे इस्लाम की जीत और धार्मिक एकता का संकेत बताया है. हालांकि, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और आशंका है कि यह विवाद और बढ़ सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर अंतरधार्मिक संघर्ष हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री इब्राहिम ने आधारशिला रखते समय धार्मिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि सरकार मलेशिया में सभी धार्मिक समूहों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए काम करेगी. हालांकि, उनके बयान आलोचकों के गुस्से को शांत करने में नाकाम रहे हैं, जिनमें से कई का मानना है कि यह निर्णय देश में धार्मिक विभाजन को और गहरा कर सकता है. जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, मलेशिया के विविध धार्मिक समुदायों के बीच संवाद और अधिक समझ की मांग तेज हो गई है. स्थिति अभी भी अनसुलझी है, और विरोध प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है.