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फ्लोरीडा कारपेंटर चींटियां अपने साथियों के गहरे जख्मों का इलाज करती हैं, जरूरत पड़ने पर उनके हाथ पैर भी अलग कर देती हैं. यह काबिलियत इंसानों के बाद केवल चींटियों में देखी गई है.

कारपेंटर चीटियां जख्मों से खास तरह से निपटती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- फ्लोरीडा कारपेंटर चींटियां साथियों के जख्मों का इलाज करती हैं
- जरूरत पड़ने पर चींटियां साथी के हाथ पैर भी अलग कर देती हैं
- चींटियां जख्मों को साफ कर जहर फैलने से रोकती हैं
इंसान को दुनिया में एक बुद्धिमान किस्म का जीव माना जाता है. वह कई लिहाज से दूसरे जानवरों से अलग है. वह एकमात्र ऐसा जानवर है जो बच्चे पैदा करने और उन्हें पालने में सामूहिक तौर पर एक दूसरे की मदद करता है. इसके अलावा उसने इलाज करने कि बहुत ही ऊंचे स्तर की काबिलयतें हासिल की हैं. इनमें ऑपरेशन कर कई रोगों व्याधियों को ठीक करना शामिल है. वैसे तो चिम्पांजी जैसे जानवर पेड़ पौधों की मदद से कुछ हद तक इलाज कर करने के काबिल देखे गए हैं. लेकिन एक जीव ऐसा भी है जो इंसानों की तरह ऑपरेशन करने में सक्षम होता है. एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि एक किस्म की चींटियों में यह अनूठी काबिलियत होती है.
इंसानों की तरह लेती हैं एक बड़ा फैसला
साइंस जर्नल करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कैसे फ्लोरीडा कारपेंटर चीटिंयां अपने साथियों के गहरे जख्मों से निपटती हैं. वैसे तो चींटियों को बहुत ही सामाजिक और बेहतरीन तालमेल के लिए जाना जाता है, यह पहली बार है जब किसी स्टडी में ऐसे अनोखे नतीजे पाए गए हैं. वे साथी के इलाज के लिए जरूरत पड़ने पर उनके हाथ पैर भी अलग कर देती हैं, जिससे उनके साथी की जान बचाई जा सके.
जहर फैलने से रोकने के लिए
वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय के एरिक फ्रैंक बताते हैं कि चीटिंया बिलकुल इंसानी डॉकटरों की तरह ही फैसला लेती हैं कि कहीं इंफेक्शन इतना अधिक तो नहीं फैल कि शरीर का हिस्सा ही काट कर अलग करना पड़े. फ्रैंक का कहना है कि इंसान के बाद इस तरह का बर्ताव अभी केवल चींटी में ही देखने को मिला है.

ऐसे कामों के लिए वे किसी तरह की ट्रेनिंग भी नहीं लेती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
जख्म कि सफाई के दौरान
कई चींटी की प्रजातियों में एक खास तरह के ग्रंथि पाई जाती हैं जो उपचार के दौरान खास एंटी माइक्रोबिअल तत्व निकालती हैं, लेकिन फ्लोरिडा कारपेंटर चींटीं में ऐसा कुछ नहीं होता है. वे अपने ही मुंह से जख्मों को साफ करती हैं और कई बार जरूरत महसूस होने से पर “हाथपैर” को ही निकाल देती हैं.
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फ्रैंक का कहना कहना है कि अजीब बात तो ये है कि इसके लिए चींटियां को किसी खास तरह के प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है. चींटियां पहले से ही भोजन इकट्ठा करने के मामले में बेमिसाल तालमेल का इस्तेमाल करती हैं जो उन्हें एक लिहाज से इंसानों के जैसा बनाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पूरी प्रक्रिया के दौरान जख्मी चींटी पूरी तरह से चैतन्य होती हैं और साथी चींटियां उसके शरीर के हिस्से निकाल रही होती हैं.