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Bihar Chunav: मुकेश सहनी की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मची है. क्या सहनी की महागठबंधन में 60 सीटों की डिमांड पूरी नहीं होती है तो क्या एनडीए में 2020 की तरह …और पढ़ें

क्या मुकेश सहनी इस बार भी कर देंगे बड़ा राजनीतिक कांड?
हाइलाइट्स
- मुकेश सहनी की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात से हलचल मची.
- महागठबंधन में 60 सीटों की मांग पूरी न होने पर एनडीए में वापसी संभव.
- बीजेपी ने सहनी के लिए दरवाजे खुले रखे हैं.
पटना. बिहार के सियासी गलियारे में वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को लेकर तरह-तरह की खबरें उड़ रही हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से मुलाकात से लेकर गुरुवार को महागठबंधन में तेजस्वी यादव के राइट हैंड में बैठे मुकेश सहनी को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है. वीआईपी की महागठबंधन में 60 सीटों की मांग और बीजेपी की लॉलीपॉप पॉलिटिक्स वाली चाल से मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में हॉटकेक बन गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद सीधे बीजेपी खेमे में जाने वाले सहनी, क्या 2025 में वही कहानी फिर से दोहराने वाले हैं? क्यों बीजेपी मुकेश सहनी को अपने पाले में करने के लिए नजरें गड़ाए बैठी है? क्या मुकेश सहनी एक बार फिर से एनडीए के पाले में जाएंगे?
मुकेश सहनी के पाला बदलने की बात में दम तब लगी, जब उनकी मुलाकात बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से रात के अंधेरे में होने की खबर आई. जब मुकेश सहनी को लेकर यह खबर आई तब तेजस्वी यादव दिल्ली में थे. बीते सोमवार को तेजस्वी यादव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ मीटिंग कर रहे थे. उसके अगले दिन ही वीआईपी चीफ मुकेश सहनी की पाला बदलने की चर्चाएं मीडिया में आने लगीं. हालांकि, मुकेश सहनी ने इसको अफवाह बताया और कहा है कि वह महागठबंधन से टस से मस नहीं होंगे.
मुकेश सहनी क्या इस बार भी तेजस्वी के साथ करेंगे खेला?
बीते कुछ दिनों से मुकेश सहनी लगातार महागठबंधन नेताओं से 60 सीटों की मांग कर रहे हैं. गुरुवार को पटना में महागठबंधन दलों की मीटिंग के दौरान जो तस्वीर सामने आई है उससे साफ नजर आ रहा है कि तेजस्वी यादव साल 2020 वाली गलती नहीं दोहराने वाले हैं. हालांकि, मुकेश सहनी को महागठबंधन में पर्याप्त सम्मान और सीटों की हिस्सेदारी न मिलने की शिकायत रही है. बीते 15 अप्रैल को भी तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की बैठक में सहनी को न बुलाए जाने से उनकी नाराजगी की खबरें सामने आई हैं.
बीजेपी के ग्रीन सिग्नल के मायने क्या हैं?
मुकेश सहनी को लेकर बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने संकेत दिया है कि यदि महागठबंधन में सहनी का कद नहीं बढ़ता, तो वे एनडीए में शामिल हो सकते हैं. जायसवाल और सहनी की मुलाकात 15 अप्रैल 2025 की देर रात गुप्त रूप से हुई, जिसमें सहनी की एनडीए में वापसी की शर्तों और राजनीतिक रणनीति पर चर्चा हुई. बीजेपी ने सहनी के लिए दरवाजे खुले रखे हैं, क्योंकि उनकी जाति निषाद (मल्लाह) का वोट बैंक लगभग 3 से 4 प्रतिशत के बीच है.
जानकारों की मानें तो मुकेश सहनी की बिहार में राजनीति अवसरवादी रही है. सहनी साल 2015 और 2020 के चुनाव में एनडीए के साथ रहे हैं. वहीं, वे 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ रहे हैं. कहा जा रहा है कि सहनी बीजेपी के साथ सौदेबाजी की रणनीति अपना रहे हैं, ताकि महागठबंधन में अधिक सीटें और प्रभाव हासिल किया जा सके. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या 2020 के चुनाव की तरह 2025 के चुनाव में सहनी की पार्टी को 60 सीटें नहीं मिलती हैं, तो क्या वह एक बार फिर से एनडीए पाले में जा सकते हैं?