रायबरेली: गेहूं की मड़ाई के बाद खेत खाली हो गए हैं. ऐसे में किसान इन खाली खेतों में मेंथा की खेती करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं, क्योंकि मेंथा को किसानों के लिए एक लाभकारी फसल माना जाता है. खास बात यह है कि मेंथा की खेती से न सिर्फ आय में बढ़ोत्तरी होती है, बल्कि इसके लिए कम देखभाल और कम सिंचाई की जरूरत होती है. यही कारण है कि इसमें अधिक खर्च भी नहीं आता. आइए जानते हैं कृषि विशेषज्ञ से कि मेंथा की रोपाई करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
तीन महीने में तैयार होगी फसल
कृषि क्षेत्र में 10 सालों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र, शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिवशंकर वर्मा (बीएससी एग्रीकल्चर, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद) ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि अप्रैल माह तक लगभग 80% गेहूं की मड़ाई पूरी हो चुकी है. ऐसे में अधिकांश खेत खाली हो गए हैं. किसान इन खेतों में मेंथा की रोपाई करके अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं, क्योंकि जून तक खेत यूं ही खाली रहते हैं. मेंथा एक ऐसी फसल है जो लगभग 90 दिनों यानी तीन महीनों में तैयार हो जाती है और किसानों को अच्छा मुनाफा देती है.
हालांकि, बेहतर उत्पादन के लिए रोपाई के समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वर्मा बताते हैं कि भारत में मेंथा की खेती खासकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है और इससे किसान अच्छी आमदनी कर रहे हैं.
मेंथा की रोपाई के समय ध्यान रखने वाली बातें
1. खेत की तैयारी
मेंथा की अच्छी उपज के लिए खेत को अच्छी तरह जोतें. 2-3 बार हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें और उसमें अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था जरूरी है, क्योंकि मेंथा में पानी रुकना हानिकारक होता है.
2. बीज या जड़ का चयन
स्वस्थ और रोगमुक्त जड़ों का ही चयन करें. मेंथा की उन्नत किस्में जैसे ‘KMP-105’, ‘कुशाल’ और ‘सिम’ अधिक उत्पादन देती हैं और रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं.
3. रोपाई की विधि
मेंथा की रोपाई 40-45 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में करें. जड़ों को 5-6 सेंटीमीटर गहराई में लगाएं और तुरंत सिंचाई करें.
4. सिंचाई और देखभाल
रोपाई के बाद पहली सिंचाई तुरंत करें। उसके बाद आवश्यकतानुसार हर 7-10 दिन में सिंचाई करते रहें. साथ ही, खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें.
5. रोग और कीट नियंत्रण
मेंथा में पत्ती झुलसा, जड़ सड़न और माहू जैसे रोग-कीट लग सकते हैं. इनके नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर उपयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग करें.
6. कटाई और तेल निष्कर्षण
मेंथा की फसल रोपाई के 100-120 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. कटाई सुबह या शाम के समय करें. इसके बाद पत्तियों से मेंथॉल तेल निकाला जा सकता है, जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.