बागेश्वर: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक संपदा न केवल खूबसूरत नजारों के लिए जानी जाती है. बल्कि यहां पाए जाने वाले औषधीय पौधों के लिए भी यह क्षेत्र बेहद खास है. इन्हीं पौधों में से एक है ‘कंटेरी’ का पौधा, जिसे स्थानीय ग्रामीण सालों से घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इसका उपयोग अधिकतर जहरीले कीटों के काटने पर किया जाता है.
पहाड़ी इलाके का है रामबाण इलाज
बागेश्वर के स्थानीय जानकार किशन मलड़ा ने लोकल 18 को बताया कि कंटेरी एक बहुउपयोगी पौधा है. इसके पत्ते, जड़ और फल तीनों ही किसी न किसी रूप में स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने वाले होते हैं. खासकर जहरीले कीटों या सांप के काटने पर इसका उपयोग रामबाण इलाज के तौर पर किया जाता है.
अगर किसी को जहरीले कीट ने काट लिया हो, तो कंटेरी के ताजे पत्तों को पीसकर उस स्थान पर लगाने से जहर तेजी से बाहर निकल जाता है. यह प्राकृतिक लेप जहर को निष्क्रिय करने में कारगर होता है, और सूजन व जलन को भी कम करता है. यह तरीका खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी प्राथमिक इलाज के रूप में अपनाया जाता है. जहां आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं तुरंत उपलब्ध नहीं होतीं है.
सांप काटने पर लोग लगाते हैं लेप
बागेश्वर के कई पहाड़ी इलाकों में जब किसी को सांप काट लेता है, तो प्राथमिक इलाज के तौर पर कंटेरी के पत्तों का लेप किया जाता है. हालांकि यह इलाज केवल शुरुआत में किया जाना चाहिए और इसके बाद तुरंत मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना जरूरी है.
चूर्ण बनाकर लोग करते हैं सेवन
कंटेरी के फलों में मौजूद बीजों को सुखाकर, उनका चूर्ण बनाकर सेवन करने से लीवर की सफाई होती है. यह शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करता है. इसके यही विशेष गुण इसे एक प्राकृतिक डिटॉक्स का दर्जा देते हैं. साथ ही यह पाचन तंत्र को सुधारने और त्वचा की समस्याओं में भी मददगार होता है. आज जहां लोग एलोपैथिक दवाओं पर निर्भर होते जा रहे हैं.
पहाड़ों का है औषधीय खजाना
वहीं ,उत्तराखंड की पहाड़ियों में अभी भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति जीवित है. कंटेरी जैसे पौधे इसकी मिसाल हैं. जरूरत है तो बस इनके सही उपयोग और वैज्ञानिक अध्ययन की, जिससे इनका लाभ और लोगों तक पहुंच सके. कंटेरी का पौधा केवल एक जंगली पौधा नहीं, बल्कि एक औषधीय खजाना है. जहरीले कीटों से बचाव हो या लीवर की सफाई, यह पौधा हर रूप में फायदेमंद है. ऐसे में इसे घरेलू जीवनशैली में शामिल कर, पहाड़ों की इस अनमोल विरासत को संरक्षित किया जा सकता है.