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छतरपुर जिले के खजुराहो के जटकारा गांव में रहने वाले 28 साल के धर्मेंद्र पटेल एक साधारण परिवार से आते हैं. लेकिन उसकी प्रतिभा असाधारण है. क्योंकि वह 100 मीटर की दौड़ 10 सेकेंड में पूरी कर लेते हैं. यह समय विश्व …और पढ़ें

ट्रैक्टर खींचते बुंदेली टार्जन धर्मेन्द्र पटेल
हाइलाइट्स
- धर्मेंद्र पटेल 10 सेकंड में 100 मीटर दौड़ते हैं.
- धर्मेंद्र को ‘बुंदेली टार्जन’ के नाम से जाना जाता है.
- धर्मेंद्र ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.
Bundeli Tarjan Dharme Patel. छतरपुर जिले के खजुराहो के जटकारा गांव में रहने वाले 28 साल के धर्मेंद्र पटेल एक साधारण परिवार से आते हैं, लेकिन उसकी प्रतिभा असाधारण है. क्योंकि वह 100 मीटर की दौड़ 10 सेकेंड में पूरी कर लेते हैं. यह समय विश्व रिकॉर्ड धारक उसैन बोल्ट के 9.58 सेकेंड के करीब है.
बता दें, धर्मेंद्र की कहानी संघर्ष भरी है. उन्होंने दसवीं तक पढ़ाई की है. आर्थिक तंगी के कारण आगे नहीं पढ़ सके. उनका सपना था सेना में भर्ती होना. तीन बार सेना भर्ती रैली में भाग लिया. ग्वालियर में दूसरा और शिवपुरी में पहला स्थान हासिल किया. लेकिन एक इंच कम ऊंचाई के कारण चयन नहीं हो पाया.
लगातार 20 साल से दौड़ रहे
लेकिन फिर भी धर्मेंद्र ने हार नहीं मानी. क्रिकेटरों की सफलता से प्रेरणा ली. फिर उसैन बोल्ट और मिल्खा सिंह की कहानियां पढ़ीं. यूट्यूब से देखकर ट्रेनिंग सीखी. देशी मिट्टी के मैदान में कड़ी मेहनत की. आज वह 100 मीटर की दौड़ 10 सेकेंड में पूरी कर लेते हैं. साथ ही धर्मेंद्र पीठ पर 70 किलो का टायर रखकर पुशअप लगाते हैं और टायर को अपने हाथों से उठाकर फेंक देते हैं. बता दें, धर्मेन्द्र पिछले 20 सालों से लगातार दौड़ रहे हैं.
घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
धर्मेन्द्र को क्षेत्र में ‘बुंदेली टार्जन’ और ‘धर्मेंद्र लाइजर’ के नाम से जाना जाता है. उनकी पारिवारिक स्थिति कठिन है. मां का ब्लड कैंसर से निधन हो चुका है पिता खेती करते हैं, स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता. पत्नी और दो बच्चों का परिवार है. अब वह ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं.
ट्रैक्टर खींचते हैं, उठाते हैं 70 केजी का टायर
धर्मेंद्र बताते हैं कि ट्रैक्टर इसलिए खींचता हूं ताकि मेरे शरीर की ताकत न कम न हो, क्योंकि मैं जो 100 मीटर दौड़ता हूं तो ट्रैक्टर लेकर भी दौड़ता हूं और ट्रैक्टर का बड़ा टायर जो 70 kg का होता हैं, उसे बांधकर भी दौड़ता हूं, तो कम से 15 सेकेंड में टायर बांधकर दौड़ता हूं.
उसैन बोल्ट को मानते हैं भगवान
धर्मेंद्र बताते हैं कि मैं ये नहीं कहता कि मैं किसी का रिकॉर्ड तोड़ दूंगा या फिर किसी को पीछे कर दूंगा. लेकिन उन्हें अगर मौका मिलता है तो वह ओलिंपिक खेलना चाहते हैं और वह हुसैन बोल्ट को भगवान मानते हैं.
साथ ही मिल्खा सिंह की बातों को गांठ बांधकर भी रखे हैं कि उन्होंने एक बार कहा था कि 25 से 30 साल बाद कोई ऐसा बंदा आएगा जो मेरे जैसा यहां दौड़ेगा और सितारे लेकर भारत आएगा, तो मैं इस बात पर अड़ा हूं कि मुझे दौड़ने के लिए बुलाया जाए. सरकार मेरी मदद करें, क्योंकि मुझे नई पता कि कैसे क्या करना है.