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फिड्लर नर केकड़े साथी को आकर्षित करने के लिए भूकंपीय तरंगों का उपयोग करते हैं. शोधकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को रिकॉर्ड और विश्लेषण किया है. हैरानी की बात ये है कि ये सब वे मिलाप के लिए करते हैं. मादा भी इन्हीं क…और पढ़ें

यूरोपीय फिड्लर केकड़े खास भूकंपीय तंरगे निकाल कर जमीन के अंदर भेजते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- नर केकड़े साथी को आकर्षित करने के लिए भूकंपीय तरंगों का उपयोग करते हैं.
- मादा केकड़े इन तरंगों से नरों की ताकत का अंदाजा लगाती हैं.
- वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को रिकॉर्ड और विश्लेषण किया है.
कई जानवर अपने साथी को आकर्षित करने या बुलाने के लिए अजीब अजीब से काम करते हैं. कोई किसी खास तरह की गंध का सहारा लेता है तो किसी जानवर के नर को कुदरत ने से भी बहुत ज्यादा सुंदर बनाया है जिससे मादा उसकी ओर आकर्षित हो सकते हैं. कई नर पक्षी गाना ही गा कर पार्टनर को बुलाने का काम करत हैं. पर एक हैरान कर देने वाली खोज में वैज्ञानिकों को पता चला है कि एक प्रजाति के केकड़े पार्टनर को बुलाने के लिए भूकंप की तरगों का इस्तेमाल करते हैं.
रिकॉर्ड किए गए ऐसे संकेत
जी हां वैज्ञानिकों ने पाया है कि दक्षिणी यूरोप के नर केकड़े साथी को आकर्षित करने के लिए जमीन के अंदर खास तरह के संकेत भेजते हैं जो कुछ और नहीं भूकंपीय तरंगे ही होती हैं. उन्होंने पहली बार इस तरह के संकेतों को रिकॉर्ड किया है और विश्लेषण कर यह समझने की कोशिश की है कि आखिर वे तेज आवाज वाले आवास में एक दूसरे तक अपनी बात कैसे पहुंचाते हैं.
आवाज की जगह भूकंपीय कंपन
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यूरोपीय फिडलर केकड़े (अफ्रूका टेंजेरी) की आवाज और वीडियो को रिकॉर्ड किया है जो कि इबेरियन प्रायद्वीप के किनारों में पाए जाते हैं जहां लहरों और हवाओं की तेज आवाज गूंजती रहती है. वे अपने बड़े पंजों के लिए जाने जाते हैं. इन्हीं का इस्तेमाल वे भूकंपीय तरंगों को पैदा करने में लगते हैं.

इन्हीं संकेतों को सीख कर वैज्ञानिक केकड़ों के बारे में गहराई से पता लगाएंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
कैसे करते हैं ये
फिड्लर क्रैब पंजों या खोल को धरती पर मारते हैं जिससे खास कंपन पैदा होता है, इसके बाद शरीर को गड्ढे छोड़ देते हैं. और अंग की गतिविधि का तालमेल बैठाते हैं. इससे धीरे धीरे कंपन बढ़ता जाता है. मादा के दिलचस्पी दिखाने पर यह कंपन बढ़ जाता है.
ताकत का लगता है अंदाजा
वैज्ञानिकों में इस तरह की प्रक्रिया के दौरान 8 हजार से अधिक कंपन संकेतों का मापन किया. संकेत नर केकड़े के आकार और ताकत पर भी निर्भर रहते हैं. यानी ज्यादा बड़े पंजे ज्यादा ताकतवर संकेत भेजते हैं. मादा भी संकेतों के आधार पर भी नर केकड़ों की ताकत का अंदाजा लगाती हैं.
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शोध की खास बात ये है कि वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर्स को मशीन लर्निंग के जरिए केकड़ों के कंपन को सिखा दिया है जिसमें उन्हें 70 फीसदी सफलता भी मिल गई है. यानी वे केवल कंपन को समझ कर केकड़ों के बारे में पता लगाने के काबिल होने में दूर नहीं हैं. इस तकनीक की मदद से वैज्ञानिक कई जानवरों पर निगरानी का सिस्टम बना सकते हैं.