Wednesday, April 23, 2025
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कबाड़ में पड़ी थी रॉड जैसी चीज, गूगल पर सर्च किया तो कीमत देख उड़े होश, विश्व युद्ध में हो चुका था उपयोग


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Ajab Gajab News: सागर यूनिवर्सिटी के अस्पताल में पुराने रॉड जैसी सामान्य चीज काफी दिनों से पड़ी थी. एक दिन डॉक्टर वहां गए और उस चीज की फोटो खींचकर गूगल पर सर्च किया. जब रिजल्ट देखा तो आंखें खुली रही गई्रं..

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सागर

सागर में ऐतिहासिक उपकरण.

हाइलाइट्स

  • सागर यूनिवर्सिटी में मिला दुर्लभ थॉमस स्प्रिंट
  • प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में किया गया था उपयोग
  • इसकी कीमत करीब ढाई लाख, तैयार होगा संग्रहालय

Sagar News: मध्य प्रदेश की सागर यूनिवर्सिटी के स्टोर रूम में कुछ साधारण से दिखने वाले आयरन रॉड जैसे स्टैंड रखे थे. एक दिन अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिषेक जैन वहां पहुंचे और उन रॉड पर उनकी नजर पड़ी. उन्हें समझ नहीं आया कि ये क्या चीज है. जिज्ञासा के चलते उन्होंने इसकी तस्वीर खींची और गूगल पर सर्च किया. जब उन्होंने इसकी कीमत देखी तो उनके होश उड़ गए. क्योंकि, कबाड़ में पड़े इस रॉड की कीमत करीब ढाई लाख रुपये थी.

जब उन्होंने इसके उपयोग के बारे में पता किया, तो मालूम हुआ कि यह उपकरण प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों की जान बचाने के काम आता था. जब किसी के हाथ या पैर में फ्रैक्चर हो जाता था, तब इस रिंग नुमा स्प्रिंट को उसके पांव या हाथ में डाला जाता था और फिर स्टील वाले फ्रेम से उसे स्थिर कर पट्टियां बांध दी जाती थीं. 1918 में हुए प्रथम विश्व युद्ध और 1939 में हुए द्वितीय विश्व युद्ध के समय इस उपकरण ने लाखों सैनिकों की जान बचाई थी.

लाखों सैनिकों की जान बचाई
इस उपकरण को थॉमस स्प्रिंट कहा जाता है. यह ऑर्थोपेडिक सर्जरी में उपयोग होता है. इसे ऑर्थोपेडिक सर्जरी का जन्मदाता भी माना जाता है. थॉमस स्प्रिंट का उपयोग हाथ और पैर के फ्रैक्चर को स्थिर करने के लिए किया जाता था. खासकर युद्ध के समय. कहा जाता है कि इन स्प्रिंट्स ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में लाखों सैनिकों की जान बचाई थी. आज भी इनका उपयोग किया जाता है. स्प्रिंट में जो रिंग होते थे, वे सैनिक की जरूरत के अनुसार बनाए जाते थे. इसे लगाने के बाद पट्टियों से स्थिर किया जाता था और घायल सैनिकों का इलाज किया जाता था।

संग्रहालय तैयार होगा…
यूनिवर्सिटी की स्थापना 1946 में की गई थी. उस समय के मेडिकल उपकरण आज भी यहां सुरक्षित हैं. अब यहां द्वितीय विश्व युद्ध में उपयोग हुए मेडिकल उपकरणों का संग्रहालय तैयार किया जा रहा है, जो चिकित्सा के क्षेत्र में तरक्की को दर्शाएगा.

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कबाड़ में पड़ी थी चीज, गूगल पर सर्च किया तो देख उड़े होश, ये तो विश्व युद्ध…



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