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IIT Kanpur PhD Program : आईआईटी कानपुर अब इंजीनियरिंग के साथ मेडिकल और बायोटेक्नोलॉजी में भी पीएचडी करने का मौका दे रहा है. गेट और नेट की अनिवार्यता हटाई गई. आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

आईआईटी कानपुर
हाइलाइट्स
- आईआईटी कानपुर में मेडिकल और बायोटेक में पीएचडी का मौका.
- गेट और नेट की अनिवार्यता हटाई गई.
- आवेदन प्रक्रिया शुरू, इंटरव्यू 9-13 मई की बीच.
कानपुर. आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) को लोग अब तक इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा के लिए जानते थे, लेकिन अब ये संस्थान युवाओं को मेडिकल और बायोटेक्नोलॉजी जैसे नए और रोजगार दिलाने वाले क्षेत्रों में भी जबरदस्त अवसर दे रहा है. अब आईआईटी कानपुर में बायोटेक और मेडिकल के क्षेत्र में पीएचडी करने का मौका मिलेगा, जिससे छात्रों को रिसर्च और इंडस्ट्री दोनों में शानदार करियर बनाने का अवसर मिल सकता है. संस्थान ने पीएचडी प्रोग्राम के लिए आवेदन मांग लिए हैं. ये प्रोग्राम खासतौर पर उन छात्रों के लिए फायदेमंद है जो इंजीनियरिंग या मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. सिर्फ इंजीनियर ही नहीं, बल्कि डॉक्टर और मेडिकल क्षेत्र के प्रोफेशनल्स भी इस पीएचडी प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं.
कैसे होगा चयन
आईआईटी कानपुर के अनुसार, इस कोर्स में गेट और नेट जैसे एंट्रेंस एग्जाम की अनिवार्यता भी हटा दी गई है. यानी अब ज्यादा से ज्यादा छात्र इस प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं. मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च की जरूरत को देखते हुए ये पहल काफी अहम मानी जा रही है. ये कोर्स उन छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद होगा जो बायोटेक, मेडटेक, हेल्थ टेक्नोलॉजी, मेडिकल डिवाइसेस और ह्यूमन बॉयोलॉजी जैसे विषयों में रिसर्च करना चाहते हैं. इस पीएचडी प्रोग्राम में भाग लेने के लिए इच्छुक उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं. इंटरव्यू की प्रक्रिया 9 मई से 13 मई तक चलेगी. जो छात्र इंजीनियरिंग में मास्टर्स कर चुके हैं या मेडिकल क्षेत्र से हैं, वे इस मौके का फायदा उठा सकते हैं.
कनेक्शन का उठाएं लाभ
इस प्रोग्राम के तहत छात्रों को रिसर्च की ट्रेनिंग के साथ-साथ इंडस्ट्री में काम करने के अवसर भी मिलेंगे. आईआईटी कानपुर की लैब्स, एक्सपर्ट फैकल्टी और इंडस्ट्रियल कनेक्शन से छात्रों को एक मजबूत करियर बनाने में मदद मिलेगी. इस प्रोग्राम एमबीबीएस और बीडीएस जैसे बैकग्राउंड वाले छात्रों को भी शामिल किया जा रहा है. यानी अब सिर्फ साइंस बैकग्राउंड के इंजीनियर ही नहीं, बल्कि मेडिकल के छात्र भी टेक्नोलॉजी की दुनिया में रिसर्च कर सकते हैं.