Last Updated:
Knee Replacement Process: नी ट्रांसप्लांट सर्जरी में मेटल प्लेट कैसे लगती है? क्या है खर्च और कितनी जल्दी मरीज चल सकता है? जानिए रांची के डॉ. डेविड से नकली घुटने की पूरी प्रक्रिया.

नकली नहीं, राहत देने वाला घुटना, जानिए कैसे होता है नी ट्रांसप्लांट और क्या लगता है इसमें
हाइलाइट्स
- नी ट्रांसप्लांट सर्जरी में मेटल प्लेट लगाई जाती है.
- सर्जरी के 24 घंटे बाद मरीज को चलने की कोशिश कराई जाती है.
- सर्जरी की लागत 2 से 5 लाख रुपये तक होती है.
शिखा श्रेया / रांची: बढ़ती उम्र के साथ घुटनों का दर्द अब कोई नई बात नहीं रह गई है. पहले यह समस्या 60 साल की उम्र के बाद दिखाई देती थी, लेकिन अब 40-45 की उम्र में भी लोग घुटनों की तकलीफ से परेशान हैं. ऐसे में ‘नी ट्रांसप्लांट’ या घुटने का ऑपरेशन राहत की एक नई किरण बनकर सामने आया है. पर लोगों के मन में आज भी यह सवाल है कि इस सर्जरी में घुटनों के बीच में आखिर डाला क्या जाता है?
रांची के पारस हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. डेविड बताते हैं कि जब घुटनों के बीच की ग्रीस यानी कार्टिलेज घिस जाती है, तो हड्डियां आपस में टकराने लगती हैं. इससे आवाज आने लगती है और सूजन के साथ असहनीय दर्द भी होता है. इसी टकराव को रोकने के लिए सर्जरी में घुटनों के जोड़ों पर एक मेटल प्लेट लगाई जाती है, जिसे आम भाषा में लोग ‘नकली घुटना’ कहते हैं.
डॉ. डेविड बताते हैं कि यह प्लेट टाइटेनियम या कोबाल्ट-क्रोमियम मेटल की होती है. दो प्लेट्स घुटनों के ऊपर और नीचे की हड्डी पर फिट की जाती हैं. इनके बीच एक खास तरह की प्लास्टिक की रबड़ (गद्दा) लगाई जाती है, जो लुब्रिकेशन यानी ग्रीस का काम करती है और घुटनों को स्मूथ मूवमेंट देती है.
नी ट्रांसप्लांट सर्जरी में मरीज को आमतौर पर 4 दिनों में छुट्टी मिल जाती है. सर्जरी के 24 घंटे के भीतर मरीज को चलने की कोशिश कराई जाती है ताकि ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बना रहे. इस सर्जरी की लागत 2 से 5 लाख रुपये तक होती है, जो घुटने की क्वालिटी और अस्पताल की सुविधाओं पर निर्भर करता है.
डॉ. डेविड कहते हैं कि ऑपरेशन के बाद राहत तो तुरंत मिलती है, लेकिन लंबे समय तक फायदा पाने के लिए नियमित एक्सरसाइज और फिजियोथेरेपी ज़रूरी है. कमजोर मसल्स को फिर से ताकतवर बनाने के लिए एक्टिव लाइफस्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है.