Wednesday, April 16, 2025
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दो-दो बार ठगे गए बिहार के एक ही गांव के 309 लोग, करोड़ों के घोटाले का खुलासा होने के बाद उड़े गांव वालों के होश


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MNREGA Job Card Fraud News: वैशाली पुलिस ने फर्जी बैंक बनाकर लोन देने के नाम लोगों को ठगने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है. ये गिरोह गिरोह ने मनरेगा का जॉब कार्ड बनाकर लोगों का करोड़ों घोटाला कर लिया. इस गिरोह न…और पढ़ें

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पुलिस

पुलिस के साथ मनदीप और निखिल

हाइलाइट्स

  • वैशाली में फर्जी बैंक चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश.
  • 309 लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड और एटीएम कार्ड बनाए गए.
  • मनरेगा घोटाले में मुखिया और अधिकारियों की संलिप्तता उजागर.

वैशाली. काम मांगने वाले हर हाथ को साल में कम से कम 100 दिन रोजगार देने वाली सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) हमेशा से विवादों में रही है. इस योजना का लाभ मजदूरों के बजाय अफसर और स्थानीय जनप्रतिनिधि उठाते रहे हैं. हाजीपुर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर पेहतिया गांव में पिछले कई सालों से मनरेगा में करोड़ों रुपए का घोटाले का खेल चल रहा था.

पुलिस को जानकारी मिली कि गांव के दो लड़के, मंदीप और निखिल, एक फर्जी बैंक चला रहे हैं. वैशाली के एसपी ललित मोहन शर्मा के आदेश पर पुलिस ने एक टीम बनाकर गांव में छापेमारी की. पुलिस ने निखिल को उसके घर में घेर लिया और जब घर के अंदर दाखिल हुई तो उनके होश उड़ गए.

फर्जी फाइनेंस कंपनी भी चला रहे थे जालसाज

घर के अंदर से पुलिस ने 309 एटीएम कार्ड, 309 जॉब कार्ड, 309 सिम कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य दस्तावेज बरामद किए. जालसाज ने खुद की अवैध फाइनेंस कंपनी भी बना रखी थी. मजदूरों का ही पैसा मजदूरों को ब्याज पर दे रखा था. ब्याज का पैसा जमा कराने के नाम पर मजदूरों को बुलाकर उनकी बायोमेट्रिक पर अंगूठा लगवाकर मनरेगा की राशि निकाल लेता था. इस पूरे गोरखधंधे में मुखिया, रोजगार सेवक और मनरेगा पीओ की भी संलिप्तता सामने आई है. लोकल 18 की टीम जब पेहतिया गांव पहुंची तो वहां सन्नाटा पसरा हुआ था. निखिल और मंदीप के डर के कारण कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं थे. सभी ने अपने घर के दरवाजे बंद कर रखे थे. जब गांव की मुखिया से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने भी कुछ बोलने से इनकार कर दिया.

मुखिया ने कैमरे के सामने बोलने से कर दिया मना

मुखिया ने सिर्फ इतना कहा कि “हम गरीब आदमी हैं, कैमरे के सामने कुछ नहीं बोलेंगे. मनरेगा में जो हुआ है, उसमें अधिकारी मिले-जुले हैं.” हाजीपुर सदर मनरेगा सचिव अरुण कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पहले कई बहाने बनाए. इसके बाद कहा कि 1 घंटे में मुलाकात करेंगे और पूरा मामला बताएंगे, लेकिन 1 घंटे बाद उन्होंने फोन तक नहीं उठाया. जब दोबारा फोन लगाया गया तो बाले कि टेंशन में हैं और परेशान भी हैं. उन्होंने कहा, “आप इस मामले को रहने दीजिए, हम आएंगे तो आपकी भी सेवा कर देंगे.” इससे साफ था कि मनरेगा के सभी अधिकारी इस घोटाले में शामिल थे. निखिल और मंदीप को सभी जानते थे और मनरेगा अधिकारियों की मिलीभगत से ही पैसे की निकासी होती थी और गरीबों का पैसा बर्बाद होता था.

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बिहार में यहां दो-दो बार ठगे गए 309 लोग, पुलिस ने ऐसे किया घोटाले का खुलासा



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