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हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को रात 2:15 से शुरू होकर 7 जून को सुबह 6:45 पर समाप्त होगा.

एकादशी
हाइलाइट्स
- निर्जला एकादशी 6 जून को रात 2:15 से शुरू होगी.
- व्रत 6 जून को और पारण 7 जून को होगा.
- विधि अनुसार भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें.
अयोध्या: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. साल में 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है. प्रत्येक महीने दो एकादशी पड़ती है और प्रत्येक एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है. निर्जला एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी भी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त इस एकादशी का व्रत करता है उसे एक ही दिन सभी एकादशी का फल प्राप्त होता है, तो चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि कब है निर्जला एकादशी क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
कब है तिथि
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को रात 2:15 से शुरू होकर 7 जून को सुबह 6:45 पर समाप्त होगा. उदया तिथि के अनुसार 6 जून को व्रत रखा जाएगा, तो वहीं 7 जून को पारण किया जाएगा.
क्या है विधि विधान
एकादशी तिथि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद एक साफ चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए. उसके बाद विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए. पूजा आराधना करते समय भगवान विष्णु को पूजन सामग्री अर्पित करनी चाहिए. इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए पूजन प्रारंभ करना चाहिए. अंत में भगवान विष्णु की आरती कर क्षमा याचना करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में चल रही तमाम परेशानियां दूर होगी. माता लक्ष्मी की मेहरबान होगी.