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Akhand Jyoti Eye Hospital DNB Course Admission: अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डाॅ. अजीत पोद्दार ने बताया कि इनमें से तीन सीटें एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्रों के लिए हैं. जबकि नेत्र रोग में डिप्लोमा पास …और पढ़ें

अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल मस्तीचक
हाइलाइट्स
- अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल में डीएनबी कोर्स की मान्यता मिली.
- एमबीबीएस और डिप्लोमा पास छात्रों के लिए 5 सीटें उपलब्ध.
- एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर होगा एडमिशन.
पटना. नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज यानी एनबीईएमएस (NBEMS) ने अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल को मेडिकल की पोस्ट ग्रेजुएट डीएनबी की पढ़ाई के लिए अपनी मान्यता दे दी है. मस्तीचक (सारण) स्थित अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल को इसी साल 2025 से 5 मेडिकल छात्रों को ऑप्थेल्मोलॉजी यानी नेत्र चिकित्सा के डीएनबी कोर्स में प्रवेश के लिए मान्यता मिली है.
अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डाॅ. अजीत पोद्दार ने बताया कि इनमें से तीन सीटें एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्रों के लिए हैं. जबकि नेत्र रोग में डिप्लोमा पास दो छात्र अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल में ऑप्थेल्मोलॉजी में डीएनबी कोर्स के लिए प्रवेश ले सकते हैं.
एडमिशन के लिए देना होगा एंट्रेंस
ऑप्थेल्मोलॉजी में इन 5 अभ्यर्थियों का प्रवेश नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षा के मेरिट लिस्ट के आधार पर होगा. डाॅ. पोद्दार ने बताया कि नेत्र रोग में डिप्लोमा पास दो छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया पहले पूरी होगी. इनमें से कोई सीट खाली होने पर एमबीबीएस पास छात्रों के लिए निर्धारित 3 सीटों में वह खाली सीट जोड़कर एडमिशन लिया जाएगा.
इतने वर्षों का होगा कोर्स
अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के डीएनबी कोर्स के समन्वयक डाॅ. अफरोज आलम ने बताया कि नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज ने सारे मानकों पर खरा उतरने के बाद अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल को ऑप्थेल्मोलॉजी में डीएनबी की 5 सीटों की मान्यता प्रदान की है. इसी वर्ष एमबीबीएस और डिप्लोमा के रिजल्ट के बाद डीएनबी कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया आरंभ होगी. एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्रों के लिए तीन वर्षीय और डिप्लोमा उत्तीर्ण मेडिकल छात्रों के लिए डीएनबी दो वर्षों का होगा.
ऑप्टोमेट्री डिग्री और फेलोशिप की पढ़ाई भी
अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के क्लिनिकल एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन और जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजवर्धन आजाद ने बताया कि अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल में फेलोशिप के लिए 17 सीटों की मान्यता पूर्व से ही है. इनमें से कम्प्रिहेन्सिव ऑप्थेल्मोलॉजी में 15 सीटें हैं और रेटिना में फेलोशिप के लिए 2 सीटें हैं. डाॅ. आजाद ने बताया कि मस्तीचक स्थित अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल में 700 से अधिक नेत्र सर्जरी प्रतिदिन हो रही है. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में 11 माॅड्यूलर ऑपरेशन थिएटर के अतिरिक्त पुराने कैंपस में 6 ऑपरेशन थिएटर हैं. रेटिना, काॅर्निया, ग्लेकोमा, बाल नेत्र रोग विभाग समेत आंखों की बीमारियों से संबंधित 11 सुपर स्पेशियलिटी विभाग हैं. 50 से अधिक नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम हैं.
गायत्री मन्दिर का है अस्पताल
युग ॠषि श्रीराम शर्मा आचार्य चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी. गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा की प्रेरणा से उनके परम शिष्य पंडित रमेशचन्द्र शुक्ला और पंडित शुक्ला के शिष्य मृत्युंजय तिवारी ने मिलकर 10 बेड के आई हॉस्पिटल की नींव रखी थी. वर्तमान समय में मस्तीचक में अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के पुराने परिसर में 250 बेड और नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में 500 बेड है. बिहार के पूर्णिया और समस्तीपुर जिलों के अतिरिक्त यूपी के बलिया में भी अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल की सर्जिकल शाखाएं हैं. इसके अलवर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 45 विजन सेंटर कार्यरत हैं, जहां आंखों की प्राथमिक जांच और चिकित्सा होती है.