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Donald Trump Iran Policy: डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे अमेरिका की सत्ता संभाली है, तब से ही लीक से हटकर काम कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ट्रेडिशनल ट्रेंड से हटकर पॉलिसी अपना रहे हैं. अमेरिका अब ईरान के साथ नई सोच क…और पढ़ें

अमेरिका के वार्ताकार स्टीव विटकॉफ ने ईरान के प्रतिनिधि और विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने ओमान में बातचीत की है.
हाइलाइट्स
- अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधियों ने ओमान में बातचीत की है
- दोनों पक्षों ने बातचीत पर संतोष व्यक्त किया, आगे भी वार्ता होगी
- ट्रंप सरकार ने इजरायल को भी नहीं बख्शा, दोस्त पर भी टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे अमेरिका की कमान संभाली है, तब से ही दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की नीतियों में बहुत बदलाव हुआ है. राष्ट्रपति ट्रंप ने दोस्त और दुश्मन सभी को एक ही बास्केट में डाल दिया. सभी देशों पर टैरिफ रेसिप्रोकल पॉलिसी (जिसने जिनता टैरिफ अमेरिकी प्रोडक्ट पर लगाया है) के तहत लगा दिया. इसकी चपेट में अमेरिका का सबसे नजदीकी मित्र देश इजरायल भी आ गया. ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. इसके लिए बकायदा सभी देशों की लिस्ट जारी की गई. इसमें बताया गया कि संबंधित देश पर कितना टैरिफ लगाया गया है. इजरायल पर भी 17 फीसद टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इजरायल के साथ करीबी संबंध होने के बाद भी तेल अवीव को रियायत नहीं दी गई. वहीं, अब ईरान को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. ओमान की राजधानी मस्कट में अमेरिका और ईरान के वार्ताकारों के बीच न्यूक्लियर मामलों पर बातचीत हुई. इसके बाद वाइट हाउस की ओर से बयान जारी किया गया, जिसपर सबकी निगाहें थम गई हैं.
दरअसल, ईरान की ओर से बातचीत के लिए विदेश मंत्री अब्बास अरगाची ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचे थे. दूसरी तरफ, अमेरिका की ओर से ट्रंप सरकार के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ वार्ता के लिए पहुंचे थे. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इतनी बेहतर तरीके से बातचीत हुई कि दोनों पक्षों ने इसे अगले सप्ताह भी जारी रखने का ऐलान किया है. ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमाद अल-बुसैदी बतौर मध्यस्थ मौजूद थे. बता दें कि ओमान की मध्यस्थता में ही अमेरिका और ईरान के बीच यह इनडायरेक्ट डायलॉग संपन्न हुआ. अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधि अलग-अलग कमरों में बैठे हुए थे. ओमान के विदेश मंत्री दोनों का संदेश एक-दूसरे तक पहुंचाने का काम कर रहे थे.
वाइट हाउस के बयान पर ठहरीं निगाहें
दरअसल, अमेरिका और ईरान के बीच अक्सर ही तल्ख लहजे में बात होती रही है. तेहरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर सालों से बातचीत चल रही है, ईरान को परमाणु हथियार से रोका जा सके. हालांकि, आज तक उसपर कभी भी सहमति नहीं बन सकी. अक्टूबर 2023 में हमास के लड़ाकों ने इजरायल में घुसकर व्यापक पैमाने पर कत्लेआम मचाया था. इसके बाद पश्चिम एशिया में जंग छिड़ गई. इस दौरान सबकुछ पटरी से उतर गया. ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर फिर से सहमति बनाने का प्रयास शुरू किया है. ओमान की वार्ता उसी का नतीजा है. विटकॉफ और अरगाची के बीच बातचीत के बाद वाइट हाउस की ओर से बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया, ‘ये मुद्दे बहुत जटिल हैं और विशेष दूत विटकॉफ का आज का सीधा संवाद पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त करने की दिशा में एक कदम आगे है.’ बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अगले शनिवार को फिर से मिलने पर सहमति व्यक्त की है. वाइट हाउस ने वार्ता को पॉजिटिव और कंस्ट्रक्टिव बताया है.
अमेरिका-ईरान टकराव जगजाहिर
ईरान वेस्ट एशिया का प्रमुख देश है, ऐसे में पिश्चम एशिया में तेहरान की भूमिका काफी अहम है. इजरायल हमेशा से यह मानता रहा है कि हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को ईरान का भरपूर समर्थन हासिल है. उधर, अमेरिका और इजरायल की दोस्ती भी जगजाहिर है. इस तरह, अमेरिका भी इस क्षेत्र में अशांति के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराता है. यहां तक कि वॉशिंगटन ने तेहरान पर कई तरह के सख्त प्रतिबंध भी लगा रखे हैं. ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अब एक बार फिर से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत शुरू की गई है. ओमान में बातचीत के बाद अमेरिका ने जिस तरह से रिएक्शन दिया है, वह ईरान के प्रति काफी नरम है. लेकिन, इससे ट्रेडिशनल फ्रेंड इजरायल कितना खुश हुआ होगा यह बताना कठिन है.