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अफगानिस्तान में महिलाओं की जिंदगी नर्क सी हो गई है. तालिबान के राज में हालात ऐसे हो गए हैं कि एक महिला जन्म के बाद ही मौत का इंतजार करने लगती है.

शिक्षा के अधिकार से लेकर छीन ली गई बेसिक राइट्स (इमेज- फाइल फोटो)
वैसे तो महिला की लाइफ मर्दों के मुकाबके यूं ही मुश्किल होती है. ऐसी कई चीजें हैं जिसे सिर्फ एक महिला को ही झेलना पड़ता है. इसकी वजह है सोसाइटी में फैला मेल पेट्रिआर्की. पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं एक ऊपर बचपन से ही कई बंदिशें लगा दी जाती है. जहां मर्द घर के बाहर आजादी से घूम-फिर सकते हैं, वहीं ये बात महिलाओं पर लागू नहीं होती. कई बंदिशों के साथ उन्हें आजादी थमाई जाती है.
मुस्लिम धर्म में महिलाओं को नियम के नाम पर कई तरह से बांध कर रखा जाता है. कई मुस्लिम देशों में महिलाओं के ऊपर कई तरह की बंदिशें लगाई जाती है. कुछ साल पहले तक अफगानिस्तान में महिलाओं को थोड़ी बहुत आजादी दी भी जाती थी. लेकिन जब से वहां तालिबानी राज शुरू हुआ है, तब से उनकी जिंदगी नर्क से भी बदतर हो गई है.अब तो ऐसी स्थिति हो गई है कि महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है.
तालिबानी राज में कई पाबंदियां
जब से अफगानिस्तान में तालिबान का राज शुरू हुआ है, महिलाएं काफी मजबूर हो गई हैं. यहां किसी भी महिला को ऐसे कपड़े पहनने की आजादी नहीं है, जिसमें जिस्म का कोई भी अंग नजर आए. ऊपर से नीचे तक ये महिलाएं खुद को ढंककर निकलती हैं, चाहे कितनी भी गर्मी क्यों ना हो. महिलाओं को घर के बाहर बात करने की आजादी नहीं है. यहां तक कि दो महिलाएं भी आपस में बात नहीं कर सकती हैं. इसमें फुसफुसाना भी शामिल है. अगर घर से बाहर निकलना है तो साथ में घर का कोई मर्द जरूर होना चाहिए.
छीन ली शिक्षा
तालिबान ने आते ही अफगानिस्तानी महिलाओं की शिक्षा का अधिकार छीन लिया. महिलाएं प्राइमरी स्कूल से आगे पढ़ नहीं सकती. अगर नात न्यूज चैनल की करें, तो महिला पत्रकार बुर्के में ही न्यूज पढ़ती हैं. अगर कोई महिला बीमार हो जाती है तो उसका इलाज सिर्फ महिला डॉक्टर ही कर सकती है. जबकि अफगानिस्तान में महिला डॉक्टर बड़ी मुश्किल से मिलती हैं. ऐसे में बीमारी का इलाज लगभग नामुमकिन ही है. यानी एक महिला होने अफगानिस्तान में किसी अभिशाप से कम नहीं है.